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देवर जी तो पर परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो परवार्ण जी तो
आपका भरी ज़्यावानी के के तो मैं खुद पागल हो रहा हूँ।
वो इतने सोच नहीं थी, क्यों आप आये नहीं आवे इतने दिन।
आप भी ज़्यावानी आते होँ मेंने साथ।
क्या करें? ख़र पे सुखुद।